Saturday, March 12, 2011

एक अजीब सी दुनिया हो गई है ये...लोग तभी बिलखते हैं जब उनके ख़ुद के दिल में दर्द होता है...सब कुछ अपने हिसाब से ....दूसरों की त्वचा की मोटाई भी अपने हिसाब से देखना पसन्द करने वाली दुनिया, दूसरों की संवेदनशीलता पर भी अपना आधिपत्य जमाने वाली दुनिया....अजीब सी ख़ुदगर्ज़...

6 comments:

  1. जाके पाँव न फटी बिबाई , वो क्या जाने पीर पराई ..

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  2. सब कलयुग की माया है| धन्यवाद|

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  3. Pragya....sach kahti ho....duniya khudgarz to hai!

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  4. कम शब्दों में बहुत बड़ी और सच बात ..आपका शुक्रिया

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  5. आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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