एक साल बीत गया
ख़ामोशियों, तनहाइयों
और समझौतों से भरी
इस एक साल की ज़िंदगी
बड़ी डरावनी रही।
जाने कितने सन्नाटे आए और यहीं के होकर रह गए
जाने कितनी मजबूरियों ने इस दिल पर कितने कहर किए
अटकती, भटकती साँसों के बीच ज़िंदा
एक मरा सा दिल
जाने कितनी ज़िंदगियाँ जीता
अपने-आप को सहारा देता
मुस्कुराहट देने की अधूरी कोशिश करता
साथ चलते इस तानाशाह, बेरुख़े, भयंकर से समय को अनचीन्हा छोड़ता
सदमों की राहों पर
भागता-छिपता-फिरता
कभी रोता, कभी चीखता, कभी घबराता, डरता
कभी गुमसुम, चुपचाप बैठता,
थककर भागता
ये पराया सा बेवकूफ दिल
अपने-आप की गिरफ़्त से छूटता
छटपटाता
इस साल तक कई सालों को जीता रहा
या शायद जीने का अर्थ मिटाता हुआ
अपने-आप से रीत गया,
यह एक बहुत पुराना सा साल
बहुत धीरे-धीरे करके
बहुत कुछ साथ लेकर, सब कुछ मिटाकर, कुछ-कुछ ज़िंदा छोड़कर
बीत गया।
(उस एक नादान से दिल के लिए और उसकी एक नादानी के लिए)
साल दर साल यूँ ही बीतते जाते हैं ...और हम दिल की नादानियों के बारे में सोचते रह जाते हैं ...
ReplyDeleteइस साल तक कई सालों को जीता रहा
ReplyDeleteया शायद जीने का अर्थ मिटाता हुआ
अपने-आप से रीत गया,
यह एक बहुत पुराना सा साल
यह जिन्दगी का सफ़र है , समय के साथ बीतता है बस ..एक दिन हम भी बीत जायेंगे समय की तरह ...आपने बहुत सुन्दरता से विश्लेषण किया है
बीते लम्हों की कसक तो साथ ही रहती है
ReplyDeleteसाल दर साल ...
हमेशा ... हमेशा ...
बस
एक सरमाया बन कर ही .......
प्रभावशाली कृति .
आपकी नज़्म का अनुमान बहुत ही खूब है.
ReplyDelete'यह एक बहुत पुराना सा साल'
और
बहुत धीरे-धीरे करके
बहुत कुछ साथ लेकर, सब कुछ मिटाकर, कुछ-कुछ ज़िंदा छोड़कर
बीत गया।
बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.
पुराने साल की यादें हमेशा ज़िंदा रखती हैं, कुछ कुछ.
सलाम.
रात यूं दिल में तेरी खोयी हुई याद आयी
ReplyDeleteजैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाये
जैसे सहराओं में हौले से चले बादे नसीम
जैसे बीमार को बेवजह करार आ जाये..... aapke liye!! bahut khoob likha apne...
Jai Ho Mangalmay ho
bahut sundar or sateek likha aapne!!
ReplyDeleteJai Ho Mangalmay Ho
इस साल तक कई सालों को जीता रहा
ReplyDeleteया शायद जीने का अर्थ मिटाता हुआ
अपने-आप से रीत गया,
यह एक बहुत पुराना सा साल
बहुत धीरे-धीरे करके
बहुत कुछ साथ लेकर, सब कुछ मिटाकर, कुछ कुछ ज़िंदा छोड़कर
बीत गया।
नए संवत्सर पर आपकी यह रचना अच्छी लगी।
नूतन संवत्सराभिनंदन।
समय का आपने बहुत सुन्दरता से विश्लेषण किया है|धन्यवाद|
ReplyDeleteBeautiful creation.
ReplyDeletebahut badiya!
ReplyDeleteAccha hai ji. Koshish karein kuch corruption par bhi lekhein.
ReplyDeleteDesh aur samaj ko aap jaise acche lekhakon ke jarurat hai. Aap samaj badleinge, vishwash hai humara.
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी सी लाईने लिखी हैं आपने... जैसे लाईफ़ में परिस्थितियो से जूझते हुये युवा की कहानी
ReplyDelete@संगीता जी, केवल जी, दानिश जी, मनप्रीत जी, विशाल जी, विवेक जी, महेन्द्र जी, Patali, zeal, दीप्ति और अनिल जी...आप सभी की बहुत बहुत शक़्रिया...हर टिप्पणी रचना को एक नई परिभाषा देती सी है...
ReplyDelete@अनिल जी...ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद..
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