Saturday, March 6, 2010

कुछ ऐसे सरल उपाय जिन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप तनाव और इसके प्रभावों को अपने-आप से कोसों दूर रख सकते हैं...पढ़िए,,आसान हैं और मजेदार भी!

हमने अक्सर लोगों से यह सुना है कि ज़िन्दगी हमें एक या अधिक-से-अधिक दो मौके देती है लेकिन यदि आप जीवन में अधिक से अधिक मौके पाना चाहते हैं तो हर परिस्थिति में अपने-आप को शांत और धैर्यवान बनाने की कोशिश कीजिए। हालांकि आज की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में हममें से अधिकतर लोग ऐसा कर नहीं पाते। बढ़ती महंगाई, बच्चों की पढ़ाई, करियर, डेडलाइनें, ट्रैफिक जाम,...कई ऐसी चीज़े हैं जिनसे बचा नहीं जा सकता। तनाव हमारे जीवन में ऐसा घर कर गया है कि इसे अपनी जीवनचर्या से निकालना असम्भव सा हो गया है।
शायद हममें से कई लोग यह नहीं जानते कि अधिक तनाव हमें कई तरह की शारीरिक समस्याएँ देता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं: मांसपेशियों का खिंचाव, चिंता, चक्कर आना, दिल की धड़कनों का तेज़ होना, सर में दर्द, भूख कम लगना, अस्थमा, मधुमेह, एलर्जी, पीठ का दर्द, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का कम होता जाना, हाईपरटेंशन होना, आत्मविश्वास की कमी, डर, डिप्रेशन, हृदय संबंधित रोग और यहाँ तक कि कैंसर भी। इसके अलावा तनाव की वज़ह से हमें अल्सर, माइग्रेन तथा पाचन संबंधित बीमारियाँ भी हो सकती हैं।
इन घातक बीमारियों का शिकार होने से बेहतर है कि हम तनाव को अपने जीवन से निकाल बाहर करें और यदि हम इसे अपने जीवन से निकाल नहीं सकते हैं तो इसे अपने ऊपर हावी न होने देने के तरीकों के बारे में जानें और इन बीमारियों से दूर एक बेहतर और खुशहाल जीवन बिताएँ। ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से हम इसी तनावग्रस्त दुनिया में रहते हुए और यही जीवन जीते हुए कई बीमारियों के जड़ इस तनाव से दूर रह सकते हैं। इन नुस्खों को अपनाइए और देखिए कि कैसे तनाव आपके लिए कम खतरनाक होता जाता है:
1. मसाज कराएँ मसाज हमारे शरीर और मन दोनों को शिथिल करता है और यहीं से हमारे मन को शांति मिलनी शुरु होती है। कहते हैं जब शरीर को आराम मिलता है तो मानसिक चिंताएँ अपने-आप कम होने लगती हैं। मसाज हमारे रक्त संचार को बढ़ाता है और बढ़ा हुआ रक्त संचार हमारे शरीर को ताज़ा ऑक्सीजन लेने में सहायक होता है। और यह तो हम सभी जानते हैं कि ताज़ा ऑक्सीजन हमें कई बीमारियों से बचाता है। तो जब भी तनाव हो मसाज कराएँ और वैसे भी यह सुविधा तो आप घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं। वैसे मसाज आपको टच थेरैपी भी उपलब्ध कराता है जो तनाव मिटाने में काफी सहायक सिद्ध होता है।
2. एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर: ये दोनों ही तनाव भगाने की एक बहुत ही कारगर और आसान तकनीक है क्योंकि आप इसे कहीं भी और कभी भी इस्तेमाल में ला सकते हैं। इनसे आप सर दर्द, एलर्जी, गर्दन और पीठ के दर्द तथा कई प्रकार के न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर इत्यादि से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं।
 3. योग व व्यायाम: यह तो आजकल हम सभी जानते हैं कि नियमित योग, व्यायाम, सुबह-शाम की वॉक और साइकिलिंग जैसी गतिविधियाँ न हमें सिर्फ शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रखती हैं बल्कि किसी भी प्रकार की नकारात्मक विचारों से दूर रख कर मानसिक रूप से भी फिट रखने में सहायक होती हैं।

4. हँसे-गाएँ: और न सिर्फ हँसे बल्कि खुल कर, जी भर कर हँसे, और यदि हँसी ऐसे न आए तो कोई कॉमेडी फिल्म देखें, कोई मज़ेदार पुरानी बात याद करें...
बच्चों के साथ खेलें या ज़ोर-ज़ोर से अपना पसन्दीदा गाना गाएँ, यह न सोचें कि पड़ोसी क्या कहेगा; सोचें कि अगर पड़ोसी कुछ कहेगा तो उसे भी साथ बिठा लेंगे गाने को।
5. कोई प्यारा सा जानवर पालें और उसके साथ खूब खेलें: तनाव भगाने का एक और भी बहुत कारगर तरीका है वह है पालतू जानवर। घर में कोई न कोई जानवर पालें - बेहतर होगा कि कुत्ते पालें क्योंकि कुत्ते प्यार दर्शाने में बहुत माहिर होते हैं और आपके प्रति अपने अन्दर के प्यार को सुबह-शाम दर्शाकर वे आपके अन्दर खुशी और उत्साह का संचार करते हैं। इसके अलावा कुत्ते आपको सुरक्षा का अहसास भी कराते रहते हैं।
6. कहीं घूमने जाएँ: मौका मिलते ही घूमने निकल जाएँ, यदि परिवार और दोस्त साथ हों तो क्या बात है, लेकिन यदि कोई साथ न आ पा रहा हो तो अकेले ही भ्रमण करें। अकेले घूमने से कई बार हमारा ध्यान उन चीज़ों पर जाता है जिनपर किसी के साथ रहने से हमारी नज़र तक नहीं पड़ती।
 7. अपनी आलोचना को सकारात्मक रूप में लेना शुरु करें: हालांकि यह बहुत ही कठिन कार्य है लेकिन की गई आलोचना की कटुता को नज़रअन्दाज़ करते हुए इसकी सच्चाई पर ध्यान दें और उस क्षेत्र में सकारात्मक रूप से काम करना शुरु करें। याद रखें आलोचना ही हमें आगे भी बढ़ाती है और आलोचना ही हमें नीचे भी गिराती है, यह हमपर निर्भर करता है कि हम इसमें से क्या चुनते हैं।
8. तनाव में कोई निर्णय न लें|
9. खाली समय में कुछ रचनात्मक कार्य करें। किसी स्पोर्ट्स क्लब से जुड़ें और हर शाम नियमित रूप से वहाँ जाएँ, जी भर कर बच्चों की तरह खेलें या पोएट्री क्लब से जुड़ जाएँ, पेंटिंग बनाएँ, फोटोग्राफी करें या कुछ भी जो आपका शौक हो। अपने शौक का एक कलेक्शन बनाएँ और उसे प्रदर्शित करने के उपाय के बारे में सोचें।
10. किसी भी चीज़ की योजना पहले से बनाएँ। जल्दबाज़ी और अंतिम समय में बनाई गई योजनाएँ अक्सर खराब परिणाम देती हैं और फिर ये आपके तनाव का कारण बनती हैं।
11. लोगों के लिए कुछ अच्छा करें। चाहे छोटी-मोटी मदद हो या कोई बड़ी सहायता, किसी के मुस्कुराते चेहरे के साथ कहा गया धन्यवाद शब्द हमें अन्दर तक खुश और संतुष्ट कर जाता है।
12. माफ करते चलें: माफ कीजिए और खुद ही देखिए कैसी अनुभूति होती है।
13. यदि आप तनाव देने वाली स्थिति में सुधार कर सकते हैं तो सकारात्मक सोच और पूरी दृढ़ता के साथ उसमें जुट जाइए लेकिन अगर स्थिति के बेहतरीकरण में आप कुछ नहीं कर सकते तो सोचिए कि जो हो रहा है, अच्छे के लिए हो रहा है। इससे भी बुरा हो सकता था।
14. और अंत में अगर आपकी चिंता करने से कुछ होता है तो अपने स्वास्थ्य की चिंता करनी शुरु कीजिए और देखिए तनाव कैसे खुद-ब-खुद आपसे दूर हो जाता है।
तो आज ही से इन गुरों को अपनाइए और ज़िन्दगी में मिलने वाले कई सारे मौकों को जीते जाइए।

13 comments:

  1. जी आपका सुझाव उत्तम कोटि का है , परन्तु मै आपसे इस मुद्दे पर सहमत नहीं हूँ कि इंसान के अन्दर तनाव रहे या न रहे ये उसकी निजी इच्छा पर निर्भर करता है ! शायद सैद्धांतिक रूप से इन तथ्यों के बड़े मायने हों परन्तु व्यवहारिक में उतने ही निरर्थक ! आदमी हमेशा खुश रहने कि ईश्वर प्रदत्त प्रवृति लेकर ही पैदा होता है परन्तु वो खुश क्यों नहीं है यही उसके तनाव का कारण होता है , चाहें वो उसके बेटे से जुदा होने का तनाव हो या माँ से विछुड़ने का ! हम तनाव से दूर नहीं हो सकते अगर हो सकते हैं तो हिमालय कि खोह में जाकर ही तनावमुक्त महसूस कर सकतें हैं या शायद वहां भी नहीं ! ये बातें मै उन लोगों के लिए नहीं बोल रहा हूँ जो तनाव मुक्त हैं बल्कि उनके लिए लिख रहा हूँ जो तनाव को व्यवहार में जी रहे हैं या तनाव कि प्रयोगशाला बनकर घूम रहे हैं ! संतों का प्रवचन उसी को भाता है जो सुबह भरपेट खाकर अपनी वातानुकूलित गाड़ी में बैठकर बाबा के शरण में जाता है क्योंकि उन्हें तनाव नहीं है और अगर है तो प्रवचन नहीं सुन सकता क्योंकि प्रवचन में व्याहारिक कुछ नहीं होता ! मै सिर्फ यही मानता हूँ कि तनाव एक सवा संचालित प्रक्रिया है जो इंसान के वश में नहीं होती ! ..........बाकी मेरा विचार मात्र है कोई सन्देश नहीं जो मै प्रेषित करना चाहता हूँ .........माफी चाहूँगा
    --

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  3. यहाँ मैं आपसे सहमत नहीं हूँ शिवा...माफ कीजिएगा..
    आपने लिखा है कि उपर्युक्त बातें आपने उनलोगों के लिए नहीं लिखीं जो तनाव मुक्त हैं...

    इसपर कुछ कहने से पहले मैं बताना चाहूँगी कि ये लेख मैंने भी उन्हीं लोगों के लिए लिखा है जो तनाव से जूझ रहे हैं..तनाव में जी रहे हैं..क्योंकि मुझे नहीं लगता कि तनाव मुक्त व्यक्तियों को इस प्रकार के किसी लेख को पढ़ने की कोई ज़रूरत होगी...
    हालांकि इसी के साथ बड़े अफसोस के साथ मैं ये भी कहना चाहूँगी कि ऐसे भाग्यशाली लोग आज बहुत कम हैं जिन्हें इस प्रकार के लेखों की आवश्यकता बिल्कुल नहीं है...जिस दिन ऐसे लेख आवश्यकता से परे हो जाएँगे वह दिन हमारे समाज के लिए कई बेहतरीन सवेरों को लेकर आएगा..
    ये हमारे समाज की विडम्बना है..इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने ज़िन्दगी जी हो और उसे कोई अवसाद न हो..हर कोई अपनी-अपनी ज़िन्दगी के तनाव को झेलता है, कोई कम तो कोई ज़्यादा..इस दुनिया में कोई पूर्ण रूप से तनाव मुक्त नहीं है और न ही हो सकता है..लेकिन अपने-आप को अपने भीतर और बाहर के बड़े-छोटे तनावों की प्रयोगशाला बना लेना और उसकी प्रदर्शनी बना लेना शायद हमारी इच्छा पर निर्भर करता है..अपनी ज़िन्दगी के बड़े-बड़े ग़मों को अपनी हथेली में छुपाए ऐसे लोगों को मैंने बड़े क़रीब से जाना है जो दूसरों से हाथ मिलाते समय उनके हाथों में अपने ग़म की परछाई तक नहीं जाने देते.....तनाव को अपने व्यवहार में जीना या ज़िन्दगी के व्यवहार से तनाव को दूर रखना, यह हम पर निर्भर करता है..

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  4. एक और बात जो मैं आपसे कहना चाहूँगी कि ये ज़रूरी नहीं कि भरपेट भोजन करके वातानुकूलित गाड़ी में बैठने वाले को कोई तनाव नहीं होता..अगर ऐसा होता तो वो किसी बाबा की शरण में जाता ही नहीं शायद...

    दूसरी बात, कोई प्रवचन या कोई लेख या कोई सलाह-सुझाव कितना व्यावहारिक है यह बहुत कुछ उसे व्यवहार में लाने वाले पर निर्भर करता है..कोई एक सलाह किसी एक व्यक्ति को कोई खास मदद नहीं दे पाती लेकिन किसी दूसरे को वही कई समस्याओं से मुक्ति दिला जाती है...इन प्रवचनों को व्यवहार में निरर्थक या सार्थक बनाना भी हम पर ही निर्भर करता है...हमारी इच्छा पर निर्भर करता है
    अंतिम बात, जब व्यक्ति अन्दर से अशांत होता है तो हिमालय की कोई चोटी उसे सुकून नहीं दे सकती...सुकून आपको अपने भीतर, अपने मन में ही कहीं ढूंढना-तलाशना होता है..और इसी मन को बेहतर महसूस कराने की ये कुछ प्रक्रियाएँ हैं जो अपने 'प्रवचन' में मैंने बताने की कोशिश की है..इन्हें इस्तेमाल में लाकर देखिए...शायद आपकी इस धारणा में कुछ बदलाव आये कि 'तनाव एक स्व-संचालित प्रक्रिया है जो इंसान के वश में नहीं होती'..

    हम तनाव मुक्त नहीं हो सकते परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि तनावग्रस्त हो जाएँ...याद रखिए तनाव कोई श्राप नहीं है जिसे अपने व्यक्तित्व में ढोना हमारी मजबूरी बन जाए...

    उपर्युक्त लेख के सुझावों को अमल में लाएँ...कुछ सुझाव व्यावहारिक हो सकते हैं...यकीन मानिए..

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  5. wahhh bahut achhe ....tarike kamyab hain.....!! one more think doing DANCING whever u feel depressed!!


    JAi HO Mangalmay HO

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  6. yes..doing dance is a gr8 stress buster

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  7. "अगर हम चीज़ों को जैसे हैं वैसे ही एक्सेप्ट कर लें तो तनाव कम हो जाएगा."
    amitraghat.blogspot.com

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  8. वर्त्तमान परिवेश में लड़कियों की स्थिति पर लिखा मेरा नया लेख पढ़ें..............http://www.pravakta.com/?p=7581

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  9. वाह प्रज्ञा कई दिन बाद आया, दिल खुश हो गया..काफी बढ़िया लिख रही हो..तनाव दूर करने के बेहतर उपाय बताएं हैं, इंसान को खुश रहने की कोशिश करते रहना चाहिए....ये क़ड़वा सच है कि तनाव न चाहते हुए भी लो जाता है, और सोचने की ताकत को कमजोर कर देता है..पर कोशिश करते रहना चाहिए कि हम ड्रिप्रेश न हों....और यही कोशिश कामयाब होती है.....तनाव अगर हो ही जाए तो हटाने की कोशिश करते-करते एक दिन तनाव तिरोहित हो जाता है....

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  10. बहुत ही उपयोगी और सामयिक विषय उठाया है आपने क्योंकि हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग आज तनावग्रस्त हैं।

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  11. Behad achhe sujhav hain..ham jaankar bhi anjaan ban jayen to koyi kya kare?
    Ramnavmiki anek shubhkamnayen!

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  12. KAFI ACHCHE UPAY HAIN....YOGA, MORNING WALK AND EXERCISE SE MAIN BHI TANAV SE KAFI HAD TAK MUKT HO GAYA HUN....SABHI KO APNE HISAB SE KUCH NA KUCH UPAY JAROOR APNANA CHAHIYE.

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  13. wakai me aapane jindagi ko es bhag daoud wale jivan me bhi tanav se duur rakh kar jeene ki kala ke bahut hi behatar upaya bataayen hain .jiske liye aap badhai ki paatra hain.

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