Wednesday, May 30, 2012

कशमकश और आशा.....

1 comment:

  1. ये दो शब्द ऐसे है जिनके सहारे हम जीवन जिए चले जाते है! जीवन में शायद ही कोई ऐसा क्षण जाता हो जिसमे कोई असमंजस या कोई कशमश हमारे मन में न हो और साथ ही एक अद्रश्य सी आस भी तो रहती ही है,उन सभी असमंजस और कशमश से पार पाने की...

    दो शब्दों में ही एक विशाल दर्शन प्रस्तुत किया आपने..

    कुँवर जी,

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