कोई राम मन्दिर या कोई बाबरी मस्ज़िद ही क्यों, अल्लाह या राम के छोटे-छोटे, मासूम पैगम्बर क्यों नहीं?
.........एक पवित्र धार्मिक स्थल पर एक अनाथाश्रम क्यों नहीं?????
agreed with you the whole disputed land should be given to and benevolent trust where a multi specialty hospital be made where treatment be provided free of cost to each one irrespective of his cast, religion, creed
asambhaw..................mandir aur sirf mandir......yah samprdaayik mamala nahee aasthaa kaa mamala hai....jis tarah raashtreey leval par kashmir ke liye fight kar rahe hain usee tarah aantarik leval par mandir ki ladaai hai.....ram lala ham aayenge mandir vahee banaayenge...jay sri ram..
माफी चाहूँगा.........पता तो हमें तब भी नहीं चलता जब हम लचीलेपन के कारण अपना अधिकार खो बैठते हैं.........देश में आज़ादी के पहले भी सारी चीज़ें यथावत थी जैसे आज हैं अगर सम्प्रभुता को अपवाद मान लिया जाय...........मगर लोग आज़ादी कि लड़ाई लड़े और लड़ाई लड़ने कि जरुरत महसूस किये...........मेरी मान्यता यह कि चाहें स्तर कोई भी हो .........युद्ध को टाला नहीं जा सकता और टालना भी नहीं चाहिए अगर अनिवार्य हो जाय तो..............ये दुनिया कि सबसे बड़ी उपदेशक ग्रन्थ गीता कहती है...............जहां तक मेरी बात मुझे ऐसी शांति पसंद नहीं जिसमे झुकना भी पड़े और अधिकारों से समझौता भी करना पड़े..........अयोध्या ,मथुरा ,काशी विश्वनाथ कि कहानी किसी से छुपी नहीं है................ मंदिर तोड़ा गया है ये भी किसी से छुपा नहीं है ...........आज शांति और अहिंसा का समर्थन करने वाले लोग........उनकी शांतिप्रियता देख कर तो डर लग रहा है कि कहीं शांति कि प्रत्याशा में वे कल को काश्मीर और अरुणाचल पाकिस्तान और चीन को देने कि वकालत न करने लगे............आखिर उन्हें शान्ति ज्यादा पसंद है.............मुझे मुसलमान भाइयों से कोई शिकवा नहीं ..शिकवा संविधान से है जो प्रथम पृष्ठ पर भारत को सर्वधर्म समान राष्ट्र लिखते हैं और अन्दर के पृष्ठों को जाती ,धर्म आदि पर आरक्षण जैसे साम्प्रदायिक क़ानून बना कर दोहरापन करता है........... सर्वधर्म समान , इंसानियत कि बात करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय क्यों करते हैं................?जब सब एक हैं तो ये अल्पसंख्यक कौन हैं................?
Kitna behtareen khayal hai! Barson pahle mujhe bhi yahi khayal aayaa tha,ki,wahan ek anathalay kyon nahi bana diya ja sakta?
ReplyDeleteagreed with you
ReplyDeletethe whole disputed land should be given to and benevolent trust where a multi specialty hospital be made where treatment be provided free of cost to each one irrespective of his cast, religion, creed
uttam vichaar
ReplyDeletehttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
ये इतना आसान तो नही जितना कुछ लाइने लिखना .... बहुत सी आस्थाएँ जुड़ी होती हैं ......
ReplyDeletebahut achha sujhaw .....!! main sahmat hun !!
ReplyDeleteJAI GO MANgalmay HO
mere blog par bhi swagat hai !
asambhaw..................mandir aur sirf mandir......yah samprdaayik mamala nahee aasthaa kaa mamala hai....jis tarah raashtreey leval par kashmir ke liye fight kar rahe hain usee tarah aantarik leval par mandir ki ladaai hai.....ram lala ham aayenge mandir vahee banaayenge...jay sri ram..
ReplyDeleteहम अपनी आस्था को कब अपने अहम् में बदल देते हैं हमें पता भी नहीं चलता......
ReplyDeletebolle allah bole ram ,
ReplyDeletekiya tune aisa kam ,
kiya mujhko tune mujhe badnam !
-deepti Anand
माफी चाहूँगा.........पता तो हमें तब भी नहीं चलता जब हम लचीलेपन के कारण अपना अधिकार खो बैठते हैं.........देश में आज़ादी के पहले भी सारी चीज़ें यथावत थी जैसे आज हैं अगर सम्प्रभुता को अपवाद मान लिया जाय...........मगर लोग आज़ादी कि लड़ाई लड़े और लड़ाई लड़ने कि जरुरत महसूस किये...........मेरी मान्यता यह कि चाहें स्तर कोई भी हो .........युद्ध को टाला नहीं जा सकता और टालना भी नहीं चाहिए अगर अनिवार्य हो जाय तो..............ये दुनिया कि सबसे बड़ी उपदेशक ग्रन्थ गीता कहती है...............जहां तक मेरी बात मुझे ऐसी शांति पसंद नहीं जिसमे झुकना भी पड़े और अधिकारों से समझौता भी करना पड़े..........अयोध्या ,मथुरा ,काशी विश्वनाथ कि कहानी किसी से छुपी नहीं है................ मंदिर तोड़ा गया है ये भी किसी से छुपा नहीं है ...........आज शांति और अहिंसा का समर्थन करने वाले लोग........उनकी शांतिप्रियता देख कर तो डर लग रहा है कि कहीं शांति कि प्रत्याशा में वे कल को काश्मीर और अरुणाचल पाकिस्तान और चीन को देने कि वकालत न करने लगे............आखिर उन्हें शान्ति ज्यादा पसंद है.............मुझे मुसलमान भाइयों से कोई शिकवा नहीं ..शिकवा संविधान से है जो प्रथम पृष्ठ पर भारत को सर्वधर्म समान राष्ट्र लिखते हैं और अन्दर के पृष्ठों को जाती ,धर्म आदि पर आरक्षण जैसे साम्प्रदायिक क़ानून बना कर दोहरापन करता है........... सर्वधर्म समान , इंसानियत कि बात करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय क्यों करते हैं................?जब सब एक हैं तो ये अल्पसंख्यक कौन हैं................?
ReplyDelete