Scene 19
हाथियों का बड़ा विशाल झुंड निकलता है जिसमें नेता हाथी सबसे आगे चल रहा है, उसके मुरेठे (पगड़ी) पर काका और चिंटू बैठे हैं। चलते-चलते वे समुन्दर के तट पर पहुँचते हैं और समुन्दर में घुसकर खूब धमा-चौकड़ी मचाते हैं। फिर सभी मिलकर समुन्दर का पानी पीना शुरु कर देते हैं। सागर का पानी बड़ी जल्दी-जल्दी घटने लगता है। तभी समुन्दर से बड़ी-बड़ी लहरें उठने शुरु हो जाती हैं और उसमें से आवाज़ आती है।
समुन्दर: “अरे-अरे तुम सब ये क्या कर रहे हो? इस तरह तो मैं सूख जाऊँगा”
चिंटू (जोर से): “वही तो हम कर रहे हैं”
समुन्दर: “मगर क्यों? मैंने ऐसी क्या गलती कर दी?”
चिंटू: “आपने हमारी बात नहीं मानी थी”
समुन्दर: “कौन सी बात?”
चिंटू: “आग को बुझाने की बात”
समुन्दर: “आग? कौन सी आग? कैसी आग? मुझे कुछ याद नहीं आ रहा”
चिंटू: “अभी याद आ जाएगा जब आपमें एक तालाब भर पानी रह जाएगा”
समुन्दर: “अरे रुको-रुको.....अरे रोको कोई इन्हें”
चिंटू: “यहाँ आपकी चीख-पुकार सुनने वाला कोई नहीं सिन्धु महाराज! आपके पास बचने का केवल एक ही तरीका है और आप बखूबी जानते हैं कि वो क्या है”
समुन्दर: “अच्छा-अच्छा, ठीक है। मैं तैयार हूँ-तैयार हूँ...अब तो रोको”
चिंटू: “ठीक है”
चिंटू एक सीटी बजाता है। सभी हाथी एकसाथ चिंटू को देखते हैं।
चिंटू: “मौज-मस्ती खत्म। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। अब आप सभी अपने गंतव्य स्थल पर जा सकते हैं” सभी हाथी समुन्दर से निकलकर चले जाते हैं।
समुन्दर: “मैं आग को बुझाने से पहले एकबार यहीं से उनसे बात करना चाहता हूँ”
चिंटू: “ठीक है”
समुन्दर (जोर से, काफी गंभीर-गूँजती हुई आवाज़ में): “अग्नि देव नमस्कार, मैं सिंधु बोल रहा हूँ”
बैकग्राउंड से आग की आवाज़: “नमस्कार सिन्धु महाराज!”
समुन्दर: “मैं आ रहा हूँ आपके पास”
आग: “हमारे पास? मगर कारण?”
समुन्दर: “आपकी इच्छा पूर्ति करने.....आपको बुझाने”
आग: “हमारी इच्छा पूर्ति? हमें बुझाने!!”
समुन्दर: “जी”
आग: “मगर हमारी ऐसी इच्छा कब हुई?”
समुन्दर: “क्यों? आपने संदेसा नहीं भेजा?”
चिंटू आग का जवाब देने से पहले ही बोल पड़ता है।
चिंटू (जोर से): “तो अग्नि देवता, इसका मतलब आप बुझना नहीं चाहते”
आग: “नहीं, हम भला क्यों....?”
चिंटू (बीच में ही): “तो आपको उस तोते की बात मंज़ूर है?”
आग: “कौन से तोते की बात?”
चिंटू: “वो मैं आपको आकर बताता हूँ। पहले वादा कीजिए कि आपके पास जो तोता आ रहा है आप उसकी इच्छा पूरी करेंगे”
आग: “कौन सी इच्छा? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, ये कौन बोल रहा है?”
चिंटू: “वो मैं अभी आकर आपको समझा देता हूँ, आप पहले वादा तो कीजिए कि आप उस तुच्छ छोटे से तोते की इच्छा पूरी करेंगे”
आग (सोचते हुए, थोड़े से कंफ्यूज़्ड): “अ....ठीक है, हम प्रतिज्ञा करते हैं”
चिंटू: “धन्यवाद, मैं आ रहा हूँ (समुन्दर की ओर देखकर) आप अब आराम करें” चिंटू उड़ चलता है। पीछे-पीछे काका भी उड़ चलता है।
Scene 20
आग जल रही है। सामने चिंटू और काका खड़े हैं।
आग (चिंटू को देखकर): “ओहो, तो तुम हो!”
चिंटू: “जी”
आग: “क्या लाठी सचमुच यहाँ नहीं आ सकती? क्या हमें ही उसतक चलकर जाना पड़ेगा? हम जो यहाँ से वहाँ तक फैले हैं....हम जिसकी....” आग अपनी गौरव-गाथा का फिर से बखान करना शुरु करता ही है कि चिंटू बीच में ही टोक देता है।
चिंटू (बीच में ही): “जी अग्नि देव, आप ही, आप ही को वहाँ तक चलकर जाना होगा, लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि आपकी लपेट में उस लाठी के अलावा और कोई न आए”
आग (थकी-हारी सी आवाज़ में): “मंज़ूर....चलो”
क्रमश:
बढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteमेरी नई रचना देखें-
**मेरी कविता: हिंदी हिन्दुस्तान है**