Friday, June 4, 2010

काली आज़ादी

एक अजीब तनहाई है
चारों तरफ एक शोर से घिरी,
शोर
अविश्वास का, अनमनेपन का, गहरे विषाद का,
गुस्से का, अनास्था का, अनजानेपन का।
एक अजीब सन्नाटे को ख़ुद से लपेटे
यह ज़िंदगी
जितनी गुज़रती है, उतनी ही खुदगर्ज़ होती जाती है
बेईमान होती जाती है, ख़तरनाक होती जाती है।
एक काली आज़ादी है जैसे
अंधकार की आज़ादी,
धोखेबाज़ी की आज़ादी,
दूर होते रहने की आज़ादी।
वह घास जो दूर से हरी दिखती है
उसके जितने पास जाओ, वह रेत की तरह पीली होती जाती है
उसे आज़ादी मिली है पीले होने की।
उस घास में दर्प है, अहंकार है
पीले होने का,
काली आज़ादी का
जो उसे अंधेरी ही सही
पर
आज़ादी तो देती है।

16 comments:

  1. Aah..! Jahan rooh qaid me ho,jism aazaad kaise rahenge?

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  2. यह ज़िंदगी
    जितनी गुज़रती है, उतनी ही खुदगर्ज़ होती जाती है
    बेईमान होती जाती है, ख़तरनाक होती जाती है ..

    धूप में जो पकती है ... इसलिए आज़ादी ख़ुदग़र्ज़ होती है ... अच्छी रचना है ..

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  3. hummm kuch pane ke liye kuch to khona padta hai lakin......phir bhi kali aajadi mubarak ho!!

    Jai HO Mangalmay hO

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  4. हम पंक्षी उन्मुक्त गगन के, पिंजर बंद ना गा पायेंगे
    कनक तीलियों से टकरा कर पुलकित पंख टूट जायेंगे
    हम बहता जल पीने वाले मर जायेंगे भूखे प्यासे
    कहीं भली है कटक निबौरी कनक कटोरी के मैदे से !
    ................आजादी जैसी भी हो आज़ादी है........काली हो या जाज्वल्यमान ................अतिसराहनीय

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  5. प्रज्ञा जी, बहुत ही मंथन करके आपने यह बेहतरीन कविता लिखी है……आपकी यह कविता हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देती है।

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  6. आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद..

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  7. Pargya ji , आपकी कविता पढ़कर मन अभिभूत हो गया.....

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  8. शुक्रिया .
    सही फ़रमाया आपने .
    गंभीर रचना .

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  9. आपके विचारोंसे पूर्ण सहमति।
    ---------
    क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
    अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।

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  10. आज़ादी ख़ुदग़र्ज़ होती है ... अच्छी रचना है

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  11. NAMASKAR PRAGYA JI
    DOBARA PADHNE KA MAN KIYA TO BLOG PAR CHALA AAYA

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  12. @संजय जी, @लता जी...हौसला आफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत शुक़्रिया....

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  13. नराजगी सी आक्रोश सा पर सब सच सा दिखा आपकी कविता में..ये आग जिलाए रखे..

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  14. aazad mili hume sharto ke sath,
    ki banna hoga aur bigadna hoga paristhithiyo ke sath,
    kahna hoga wahi jo kaha ja chuka hai sunna hoga yahi jo suna ja chuka hai ,
    aanth hin dard ko samete matra yhi aazadi mili hai humko ,
    ki hukumarano ko unki azadi ka ahsas hum karva paye!

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  15. @डिंपल....बहुत शुक्रिया...कोशिश रहेगी इस आग को अपने अन्दर जलाए रखने की और अगर हो सके तो उसकी लौ कुछ अन्य दिलों में जलती आग से मिलाने की भी...

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  16. @दीप्ति...बहुत सही लिखा है!

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